ट्राई-साइकिल रेस की ट्रेनिंग के लिए 50 किमी करते हैं सफर

ट्राई-साइकिल रेस की ट्रेनिंग के लिए 50 किमी करते हैं सफर


गोरखपुर महोत्सव में होने वाले ट्राई साइकिल रेस के लिए दिव्यांगों में जबरदस्त उत्साह है। प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए एक दिव्यांग रोजाना 50 किलोमीटर की दूरी ट्राई-साइकिल से ही तय कर रहे हैं।


सहजनवा के सहजन निवासी देवेन्द्र कुमार शर्मा बचपन से ही दोनों पैरों से अक्षम हैं। इंटर तक की पढ़ाई कर चुके देवेन्द्र गांव में ही टॉफी-बिस्कुट की छोटी सी दुकान चलाते है। दिव्यांगों के पुनर्वास के लिए काम कर रही एनजीओ दिशा के शिक्षक कृष्ण कुमार की पहल के बाद देवेन्द्र ने ट्राई-साइकिल प्रतियोगिता में शिरकत कर रहे हैं।


ट्रेनिंग के लिए रोजाना सहजना से आते हैं देवेन्द्र


ट्राई-साइकिल रेस का फाइनल गुरुवार को होना है। इस प्रतियोगिता के लिए ट्रेनिंग दो चरणों में हुई है। पहले एक हफ्ते ट्रेनिंग स्थानीय स्तर पर हुई। इसके बाद अंतिम चरण की ट्रेनिंग सीआरसी ने रीजनल स्पोर्टस स्टेडियम में दी। यह ट्रेनिंग भी एक सप्ताह चली। इस ट्रेनिंग में देवेन्द्र भी शामिल होते है। देवेन्द्र के मुताबिक महानगर से सहजना की दूरी 25 किलोमीटर से अधिक है। वह रोजाना गांव से सीआरसी और यहां से रिजनल स्पोर्टस स्टेडियम की दूरी ट्राई साइकिल से ही करता है।


डेढ़ घंटे में तय करता है 25 किमी का सफर


देवेन्द्र ने बताया कि रीजनल स्पोर्टस स्टेडियम में रोजाना सुबह नौ बजे से ट्रेनिंग होती है। ऐसे में वह रोजाना सुबह पांच बजे उठ जाता है। करीब साढ़े सात बजे घर से सीआरसी के लिए निकलता है। यहां तक पहुंचने में डेढ़ घंटे का समय लगता है।


पत्नी की तीमारदारी के लिए लौटता है घर


देवेन्द्र ने बताया कि घर पर पत्नी बीमारी है। आजीविका के लिए सिर्फ बिस्कुट-टॉफी की एक दुकान है। दुकान से ही दोनों वक्त की रोजी-रोटी चलती है। इसीलिए घर से ही आना-जाना पड़ रहा है। हालांकि सीआरसी में दूसरे दिव्यांगों के ठहरने का इंतजाम है।


आज होगा ट्राई-साइकिल व व्हीलचेयर रेस का फाइनल


गोरखपुर। गोरखपुर महोत्सव के अंतर्गत गुरुवार से खेल प्रतियोगिताएं शुरू हो जाएंगी। पहले दिन दिव्यांगों की ट्राई-साइकिल व व्हीलचेयर रेस होगी। यह प्रतियोगिता रीजनल स्पोर्टस स्टेडियम में सुबह 10 बजे से होगी।


ट्राई-साइकिल और व्हीलचेयर रेस में शामिल दिव्यांगों और उनके तीमारदारों के ठहरने और भोजन का इंतजाम सीआरसी में ही किया गया है। देवेन्द्र का मामला अलग है। वह साहसी व उत्साही है। रोजाना 50 किलोमीटर सफर करना उसके जुनून को दर्शा रहा है।


रमेश कुमार पाण्डेय, निदेशक